Tag Archives: Mohd. Rafi

मेरे साथी ख़ाली जाम…

महफ़िल से उठ जाने वालो, तुम लोगों पर क्या इल्ज़ाम तुम आबाद घरों के वासी, मैं आवारा और बदनाम मेरे साथी ख़ाली जाम…. दो दिन तुमने प्यार जताया, दो दिन तुमसे मेल रहा अच्छा खासा वक़्त कटा, और अच्छा खासा … Continue reading

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पर्बतों के पेड़ों पर…

पर्बतों के पेड़ों पर, शाम का बसेरा है सुरमई  उजाला है, चंपई अँधेरा है दोनों वक़्त मिलते हैं, दो दिलों की सूरत से आसमाँ ने खुश होकर, रंग सा बिखेरा है

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तस्वीर बनाता हूँ तेरी ख़ून-ए-जिगर से

तस्वीर बनाता हूँ तेरी, ख़ून-ए-जिगर से देखा है तुझे मैंने, मुहब्बत की नज़र से

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तुम जिस पे नज़र डालो, उस दिल का ख़ुदा हाफ़िज़

तुम जिस पे नज़र डालो, उस दिल का ख़ुदा हाफ़िज़ क़ातिल की ख़ुदा जाने, बिस्मिल का ख़ुदा हाफ़िज़

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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता

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