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तस्वीर बनाता हूँ तेरी ख़ून-ए-जिगर से

तस्वीर बनाता हूँ तेरी, ख़ून-ए-जिगर से देखा है तुझे मैंने, मुहब्बत की नज़र से

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पिघला है सोना दूर गगन पर, फैल रहे हैं शाम के साये….

पिघला है सोना दूर गगन पर, फैल रहे हैं शाम के साये…. भगवन तेरी सुन्दर रचना कितनी प्यारी है, तेरी महिमा के गुण गाता हर नर-नारी है ख़ामोशी कुछ बोल रही है, भेद अनोखे खोल रही है पंख-पखेरू सोच में … Continue reading

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