Monthly Archives: November 2013

फैली हुई हैं सपनों की बाहें…

फैली हुई हैं सपनों की बाहें, आजा चल दें कहीं दूर वहीँ मेरी मंज़िल, वहीं तेरी राहें आजा चल दें कहीं दूर

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वो चाँद खिला, वो तारे हँसे…

वो चाँद खिला, वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है समझने वाले, समझ गये हैं न समझे? न समझे वो अनाड़ी है वो चाँद खिला, वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है

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दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

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दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से

दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से ये बात क्या है, ये राज़ क्या है कोई हमें बता दे सीने से उठकर, होंठों पे आया ये गीत कैसा, ये राज क्या है कोई हमें बता दे

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रात भी है कुछ भीगी-भीगी…

रात भी है कुछ भीगी-भीगी, चाँद भी कुछ है मद्धम-मद्धम तुम आओ तो आँखें खोले, सोई हुई पायल की छम-छम

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