Monthly Archives: February 2011

वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो

वतन की राह में, वतन के नौजवाँ शहीद हो पुकारते हैं ये ज़मीन-ओ-आसमाँ, शहीद हो वतन की राह में … शहीद तेरी मौत ही, तेरे वतन की ज़िंदगी तेरे लहू से जाग उठेगी, इस चमन की ज़िंदगी खिलेंगे फूल उस … Continue reading

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सरफ़रोशी की तमन्ना (पं. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’)

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है। करता नहीं क्यूं दूसरा कुछ बात चीत देखता हूं मैं जिसे वो चुप तिरी मेहफ़िल में है। ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार अब तेरी … Continue reading

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सुदामा चरित (नरोत्तमदास)

विप्र सुदामा बसत हैं, सदा आपने धाम। भीख माँगि भोजने करैं, हिये जपत हरि-नाम॥ ताकी घरनी पतिव्रता, गहै वेद की रीति। सलज सुशील सुबुद्धि अति, पति सेवा सौं प्रीति॥ कह्यौ सुदामा एक दिन, कृस्न हमारे मित्र। करत रहति उपदेस गुरु, … Continue reading

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भारतेंदु हरिश्चंद्र की कुछ और रचनायें

अंग्रेज़ महिमा मरी बुलाऊँ, देस उजाडूँ, महँगा करके अन्न। सबके ऊपर टिकट लगाऊँ धन है मुझको धन्न।। टिपण्णी: यहाँ टिकट का प्रयोग संभवतः “टैक्स” (कर) के लिये किया गया है —- “अथ अंगरेज स्तोत्र लिख्यते” “ “तुम मूर्तिमान हो, राज्य … Continue reading

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पाणि-ग्रहण

ओ घोड़ी पर बैठे दूल्हे, क्या हँसता है? देख सामने तेरा आगत मुँह लटकाये हुआ खड़ा हुआ है . अब हँसता है फिर रोयेगा, शहनाई के स्वर में जब बच्चे चीखेंगे चिंताओं का मुकुट शीश पर धरा रहेगा खर्चों की … Continue reading

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