Monthly Archives: May 2013

अति का वर्जन

अति गुणी अति निर्गुणी, अति दाता अति सूर इन चारौं से लक्ष्मी, सदा रहत हैं दूर ——– श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.) मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.) … Continue reading

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कर्महीन

कहा दोष करतार को, कर्म कुटिल गह बाँह कर्महीन किलपत रहै, कल्प वृक्ष की छाँह ——– श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.) मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.) श्री … Continue reading

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आपका इंतज़ार क्या करते

जीस्त को पुर-बहार क्या करते दिल ही था सोगवार क्या करते आपके ग़म की बात है वरना खुद को हम बेक़रार क्या करते

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ज़िंदगी जी नहीं बर्दाश्त की

ज़िंदगी जी नहीं बर्दाश्त की ऊसर में काश्त की !

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चंद रोज़ और मेरी जान…

चंद रोज़ और मेरी जान, फकत चंद ही रोज़ ज़ुल्म की छाँव में दम लेने को, मज़बूर हैं हम और कुछ देर सितम सह लें, तड़प लें, रो लें अपने अज्दाद की मीरास हैं, माज़ूर हैं हम

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