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Tag Archives: Poems
ये रात बहुत रंगीन सही
ये रात बहुत रंगीन सही इस रात में ग़म का ज़हर भी है नग़्मों की खनक में डूबी हुई फरियाद-ओ-फ़ुग़ाँ की लहर भी है ये रात बहुत रंगीन सही तुम रक़्स करो मैं शेर पढ़ूं मतलब तो है कुछ ख़ैरात … Continue reading
Posted in Allgemein, Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Patriotic, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged 1964, Poems, Sahir Ludhiyanvi, Satire, Sher-o-Shayari, Social Theme, उर्दू (हिन्दुस्तानी), भारत, भ्रष्टाचार, व्यंग्य, शेरो-शायरी, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९६४
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देनदार कोउ और है…
देनदार कोउ और है, देत रहत दिन-रैन । लोग भरम हम पर करें, ताते नीचे नैन ।। कवि: अब्दुर्रहीम खान खाना / Abdul Rahim Khan-I-Khana
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged Abdul Rahim Khan-I-Khana, Pearls of Wisdom, Poems, Rahim, अब्दुर्रहीम खान खाना, उर्दू (हिन्दुस्तानी), जीवन-सूत्र, नीति के दोहे, रहीम, रहीम के दोहे, लोकोक्तियाँ, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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शमा जलती रहे, तो बेहतर है…
टैंक आगे बढ़ें, या पीछे हटें, कोख धरती की, बांझ होती है । फ़तह का जश्न हो, या हार का सोग, जिंदगी, मय्यतों पर रोती है ।। इसलिए, ऐ शरीफ़ इंसानो, जंग टलती रहे, तो बेहतर है । आप और … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Patriotic, Urdu (Hindustani)
Tagged Humanity, India, Martyrdom, Martyrs, Patriotic Flavour, Poems, Sahir Ludhiyanvi, Shaheed, Social Theme, War & Peace, देशभक्ति, भारत, मानवता, युद्ध और शांति, शेरो-शायरी, साहिर लुधियानवी, हिन्दी
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मेरे साथी ख़ाली जाम…
महफ़िल से उठ जाने वालो, तुम लोगों पर क्या इल्ज़ाम तुम आबाद घरों के वासी, मैं आवारा और बदनाम मेरे साथी ख़ाली जाम…. दो दिन तुमने प्यार जताया, दो दिन तुमसे मेल रहा अच्छा खासा वक़्त कटा, और अच्छा खासा … Continue reading
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged 1964, Amrita Pritam, Bharat Bhushan, Dooj Ka Chand, Imroz, Mohd. Rafi, Poems, Roshan, Sad Songs, Sahir Ludhiyanvi, Sher-o-Shayari, अमृता प्रीतम, इमरोज़, दर्द भरे नग्मे, दूज का चाँद, भारत भूषण, मोहम्मद रफ़ी, रोशन, शेरो-शायरी, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९६४
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दशकों बाद …
दशकों बाद मुझसे किसी की मुलाकात हुई । शांत पानी में छलकती एक प्रतिबिम्ब की तरह, उपवन के उस कोने में खिले उस अनजाने गुलाब की अनजानी सुगंध की तरह, वर्षा की पहली फुहार के साथ, खिड़की से आती उस … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged Arvind Sinha, Poems, अरविंद सिन्हा, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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