Tag Archives: Poems

ये रात बहुत रंगीन सही

ये रात बहुत रंगीन सही इस रात में ग़म का ज़हर भी है नग़्मों की खनक में डूबी हुई फरियाद-ओ-फ़ुग़ाँ की लहर भी है ये रात बहुत रंगीन सही तुम रक़्स करो मैं शेर पढ़ूं मतलब तो है कुछ ख़ैरात … Continue reading

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देनदार कोउ और है…

देनदार कोउ और है, देत रहत दिन-रैन । लोग भरम हम पर करें, ताते नीचे नैन ।। कवि: अब्दुर्रहीम खान खाना / Abdul Rahim Khan-I-Khana

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शमा जलती रहे, तो बेहतर है…

टैंक आगे बढ़ें, या पीछे हटें, कोख धरती की, बांझ होती है । फ़तह का जश्न हो, या हार का सोग, जिंदगी, मय्यतों पर रोती है ।। इसलिए, ऐ शरीफ़ इंसानो, जंग टलती रहे, तो बेहतर है । आप और … Continue reading

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मेरे साथी ख़ाली जाम…

महफ़िल से उठ जाने वालो, तुम लोगों पर क्या इल्ज़ाम तुम आबाद घरों के वासी, मैं आवारा और बदनाम मेरे साथी ख़ाली जाम…. दो दिन तुमने प्यार जताया, दो दिन तुमसे मेल रहा अच्छा खासा वक़्त कटा, और अच्छा खासा … Continue reading

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दशकों बाद …

दशकों बाद मुझसे किसी की मुलाकात हुई । शांत पानी में छलकती एक प्रतिबिम्ब की तरह, उपवन के उस कोने में खिले उस अनजाने गुलाब की अनजानी सुगंध की तरह, वर्षा की पहली फुहार के साथ, खिड़की से आती उस … Continue reading

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