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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता

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वो चाँद खिला, वो तारे हँसे…

वो चाँद खिला, वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है समझने वाले, समझ गये हैं न समझे? न समझे वो अनाड़ी है वो चाँद खिला, वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है

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दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से

दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से ये बात क्या है, ये राज़ क्या है कोई हमें बता दे सीने से उठकर, होंठों पे आया ये गीत कैसा, ये राज क्या है कोई हमें बता दे

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हम हैं तो चाँद और तारे…

हम हैं तो चाँद और तारे, जहाँ के ये रंगीं नज़ारे हाय-रे-हाय ओ दुनिया, हम तेरी नज़र में आवारे

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