Monthly Archives: October 2017

शमा जलती रहे, तो बेहतर है…

टैंक आगे बढ़ें, या पीछे हटें, कोख धरती की, बांझ होती है । फ़तह का जश्न हो, या हार का सोग, जिंदगी, मय्यतों पर रोती है ।। इसलिए, ऐ शरीफ़ इंसानो, जंग टलती रहे, तो बेहतर है । आप और … Continue reading

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हसरत-ए-दीदार

दिल को नियाज़-ए-हसरत-ए-दीदार कर चुके देखा तो हम में ताक़त-ए-दीदार भी नहीं शेर: मिर्ज़ा ग़ालिब

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पापी दिल

मस्जिद तो बना दी शब भर में, ईमाँ की हरारत वालों ने दिल अपना पुराना पापी है, बरसों में नमाज़ी हो न सका शेर: इक़बाल

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