Tag Archives: कल्पना कार्तिक

तेरी दुनिया में जीने से तो…

तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें वही आसूँ वही आहें वही ग़म है जिधर जायें

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फैली हुई हैं सपनों की बाहें…

फैली हुई हैं सपनों की बाहें, आजा चल दें कहीं दूर वहीँ मेरी मंज़िल, वहीं तेरी राहें आजा चल दें कहीं दूर

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