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अब तेरा इंतज़ार कौन करे…

सुरमई रात ढलती जाती है रूह ग़म से पिघलती जाती है तेरी ज़ुल्फ़ों से प्यार कौन करे अब तेरा इंतज़ार कौन करे

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सुबह का इंतज़ार कौन करे…

सुरमई रात है, सितारे हैं आज दोनों जहाँ हमारे हैं सुबह का इंतज़ार कौन करे.. ये रुत ये समाँ मिले न मिले आरज़ू का चमन खिले न खिले वक़्त का ऐतबार कौन करे…

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तेरी दुनिया में जीने से तो…

तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें वही आसूँ वही आहें वही ग़म है जिधर जायें

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फैली हुई हैं सपनों की बाहें…

फैली हुई हैं सपनों की बाहें, आजा चल दें कहीं दूर वहीँ मेरी मंज़िल, वहीं तेरी राहें आजा चल दें कहीं दूर

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चाँद मद्धम है, आसमाँ चुप है

चाँद मद्धम है, आसमाँ चुप है नींद की गोद में, जहाँ चुप है दूर वादी में दूधिया बादल झुककर पर्वत को प्यार करते हैं दिल में नाक़ाम हसरतें लेकर हम तेरा इंतज़ार करते हैं चाँद मद्धम है…

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