Tag Archives: S.D. Burman

तेरी दुनिया में जीने से तो…

तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें वही आसूँ वही आहें वही ग़म है जिधर जायें

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बहे न कभी नैन से नीर

बहे न कभी नैन से नीर उठी हो चाहे दिल में पीर बावरे यही प्रीत की रीत बावरे यही प्रीत की रीत

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फैली हुई हैं सपनों की बाहें…

फैली हुई हैं सपनों की बाहें, आजा चल दें कहीं दूर वहीँ मेरी मंज़िल, वहीं तेरी राहें आजा चल दें कहीं दूर

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पिघला है सोना दूर गगन पर, फैल रहे हैं शाम के साये….

पिघला है सोना दूर गगन पर, फैल रहे हैं शाम के साये…. भगवन तेरी सुन्दर रचना कितनी प्यारी है, तेरी महिमा के गुण गाता हर नर-नारी है ख़ामोशी कुछ बोल रही है, भेद अनोखे खोल रही है पंख-पखेरू सोच में … Continue reading

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जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

ये कूचे ये नीलामघर दिलकशी के ये लुटते हुये कारवाँ ज़िन्दगी के कहाँ हैं, कहाँ है, मुहाफ़िज़ ख़ुदी के * जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

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