मुखड़ा:
वो आई सुबह के पर्दे से मौत की आवाज़
किसी ने तोड़ दिया जैसे ज़िंदगी का साज
गीत:
खुदा निगहबान हो तुम्हारा, धड़कते दिल का पयाम ले लो
तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं, उठो हमारा सलाम ले लो
खुदा निगहबान हो तुम्हारा…
मुखड़ा:
वो आई सुबह के पर्दे से मौत की आवाज़
किसी ने तोड़ दिया जैसे ज़िंदगी का साज
गीत:
खुदा निगहबान हो तुम्हारा, धड़कते दिल का पयाम ले लो
तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं, उठो हमारा सलाम ले लो
खुदा निगहबान हो तुम्हारा…
हमारे मित्र मंदार पुरंदरे अपने इस रोचक और पठनीय लेख में आशा करते हैं कि उन्हें एक बरफ़ लाने वाली धुन मिलेगी; एक ऐसा राग, जो एक “ग्लोबल कूलिंग” मंत्र जैसा काम करे और इसी बहाने मौसम के सुर-ताल को ठीक कर दुनिया भर के छोटे बच्चों की आँखों में थोड़ी सी ख़ुशी लाये। ये सारी चीज़ें उन्हें अभी फ़िलहाल मिली तो नहीं है लेकिन खोज अवश्य ज़ारी है, और उस धुन का, उस राग का नाम भी पक्का किया जा चुका है। उसका नाम होगा राग शुभ्रा। सभी रंगों को अपनाने वाला सफ़ेद रंग। जब तक मंदार भाई की यह खोज चालू है, तब तक के लिये इंडिया वर्ल्ड ऑन दि नेट की ओर से सभी पाठकों को क्रिसमस और नये वर्ष २०१४ की शुभकामनायें और मंदार को सफलता की मंगलकामनायें।
तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें
वही आसूँ वही आहें वही ग़म है जिधर जायें
ख़यालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते
किसी को बेवफ़ा आ-आ के तड़पाया नहीं करते
दिलों को रौंद कर दिल अपना बहलाया नहीं करते
जो ठुकराये गये हों उनको ठुकराया नहीं करते
मुखड़ा (रफ़ी, रहमान के लिये स्वर):
फिरते थे जो बड़े ही सिकंदर बने हुये
बैठें हैं उनके सर पे कबूतर बने हुये
गीत (रफ़ी):
जिस प्यार में ये हाल हो, उस प्यार से तौबा
तौबा, उस प्यार से तौबा…