मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा

मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे
मैं हूँ सोज़-ए-इश्क़ से जाँबलब, मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे

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ऐ मोहब्बत ज़िंदाबाद

मुखड़ा:

वफ़ा की राह में आशिक़ की ईद होती है
ख़ुशी मनाओ मुहब्बत शहीद होती है

गीत:

ज़िंदाबाद, ज़िंदाबाद, ऐ मोहब्बत ज़िंदाबाद
दौलत की जंज़ीरों से तू रहती है आज़ाद

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बेकस पे करम कीजिये सरकार-ए-मदीना

मुखड़ा:

ऐ मेरे मुश्किल-कुशा, फ़रियाद है – फ़रियाद है
आपके होते हुये दुनिया मेरी बरबाद है

गीत:

बेकस पे करम कीजिये, सरकार-ए-मदीना
गर्दिश में है तक़दीर, भँवर में है सफ़ीना
बेकस पे करम कीजिये…

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इश्क़ का दर्द

नहीं इश्क़ का दर्द लज़्ज़त से खाली
जिसे ज़ौक है, वो मज़ा जानता है

शेर: मीर तक़ी ‘मीर’ (१७२३-१८१०)

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आँखों से दूर, सुबह के तारे चले गए

आंखों से दूर सुबहा के तारे चले गये
नींद आ गई तो ग़म के नज़ारे चले गये

दिल था किसी की याद में मसरूफ़
और हम शीशे में ज़िन्दगी को उतारे चले गये

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