Author Archives: Rajnish Tiwari

औरत ने जनम दिया मर्दों को…

औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में नंगी नचवाई जाती है, अय्याशों के दरबारों में ये वो … Continue reading

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तुमको फ़ुरसत हो मेरी जाँ तो…

तुमको फ़ुरसत हो, मेरी जाँ, तो इधर देख तो लो चार आँखें न करो, एक नज़र देख तो लो तुमको फ़ुरसत हो…

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केरि-बेरि को संग

कहि रहीम कैसे निभै, केरि-बेरि को संग वा डोलत रस आपने, इनके फाटत अंग कवि: अब्दुर्रहीम खान खाना / Abdul Rahim Khan-I-Khana

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दोनों जहान

दोनों जहान देके वो समझे कि ये खुश रहा यहाँ आ पड़ी ये शर्म कि तकरार क्या करें शेर: मिर्ज़ा ग़ालिब डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 64,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से … Continue reading

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किसे याद रखूँ, किसे भूल जाऊँ

कोई दिल में है, और कोई है नज़र में, मोहब्बत के सपने, मैं किस पे लुटाऊँ। इसी कशमकश में, जिये जा रहा हूँ, किसे याद रखूँ, किसे भूल जाऊँ।।

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