औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया
तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है, अय्याशों के दरबारों में
ये वो बेइज़्ज़त चीज है, जो बँट जाती है इज़्ज़तदारों में
औरत ने जनम दिया मर्दों को …
मर्दों के लिये हर ज़ुल्म रवा, औरत के लिये रोना भी ख़ता
मर्दों के लिये लाखों सेजें, औरत के लिये बस एक चिता
मर्दों के लिये हर ऐश का हक़, औरत के लिये जीना भी सज़ा
औरत ने जनम दिया मर्दों को …
जिन होठों ने इनको प्यार किया, उन होठों का व्योपार किया
जिस कोख में इनका जिस्म ढला, उस कोख का कारोबार किया
जिस तन से उगे कोंपल बनकर, उस तन को ज़लील-ओ-ख़ार किया
औरत ने जनम दिया मर्दों को …
मर्दों ने बनाईं जो रस्में, उनको हक़ का फ़रमान कहा
औरत के जिन्दा जलने को, कुर्बानी और बलिदान कहा
क़िस्मत के बदले रोटी दी, और उसको भी अहसान कहा
औरत ने जनम दिया मर्दों को …
संसार की हर एक बेशर्मी, ग़ुरबत की गोद में पलती है
चकलों में ही आ के रुकती है, फाँकों से जो राह निकलती है
मर्दों की हवस है जो अक्सर, औरत के पाप में ढलती है
औरत ने जनम दिया मर्दों को …
औरत संसार की क़िस्मत है, फिर भी तक़दीर की हेठी है
अवतार पयम्बर जनती है, फिर भी शैतान की बेटी है
ये वो बदक़िस्मत माँ है जो, बेटों की सेज पे लेटी है
औरत ने जनम दिया मर्दों को …
—–
गीत: साहिर लुधियानवी / Lyric: Sahir Ludhiyanvi
संगीत: एन. दत्ता (दत्ताराम नायक) / Music: N. Dutta (Dattaram Naik)
गायिका: लता मंगेश्कर/ Singer: Lata Mangeshkar
फिल्म: साधना (१९५८) / Film: Sadhna (1958)
—-
Aurat ne janam diya mardon ko, mardon ne usse bazar diya
Jab jee chaha masla kuchla, jab jee chaha dutkaar diya
—-