Tag Archives: दत्ताराम नायक

औरत ने जनम दिया मर्दों को…

औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में नंगी नचवाई जाती है, अय्याशों के दरबारों में ये वो … Continue reading

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दिल ढूँढ़ता है सहारे-सहारे

दिल ढूँढ़ता है सहारे-सहारे लुटे दिल के अरमाँ, बुझे नैन तारे ये क्या दौर आया, लो बदली बहारें हुये ग़ैर वो भी, किसे हम पुकारें जो कहते थे हमसे, कि हम हैं तुम्हारे दिल ढूँढ़ता है सहारे-सहारे

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