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Tag Archives: Zarina Sani
पापी दिल
मस्जिद तो बना दी शब भर में, ईमाँ की हरारत वालों ने दिल अपना पुराना पापी है, बरसों में नमाज़ी हो न सका शेर: इक़बाल
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दिल्लगी
दिल्लगी, दिल्लगी नहीं नासेह तेरे दिल को अभी लगी ही नहीं शेर: दाग़
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मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा
मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे मैं हूँ सोज़-ए-इश्क़ से जाँबलब, मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे
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इश्क़ का दर्द
नहीं इश्क़ का दर्द लज़्ज़त से खाली जिसे ज़ौक है, वो मज़ा जानता है — शेर: मीर तक़ी ‘मीर’ (१७२३-१८१०)
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मुहब्बत करने वालों की परस्तिश कर
परस्तिश* कर, मुहब्बत करने वालों की परस्तिश कर खुदा होता है दिल में, जब मुहब्बत दिल में होती है —- शेर: बिस्मिल सईदी
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