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ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया

ये दुनिया, ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया शैतानों की बस्ती है, यहाँ ज़िन्दगी सस्ती है ये दुनिया…

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देने वाला जब भी देता…

देने वाला जब भी देता, पूरा छप्पर फाड़ के देता नंग-धडंग-मलंग जनों को दूरबीन से ताड़ के देता न देखे वो गोरा-काला, न देसी-परदेसी जब चाहे सोने से भर दे, फटे टाट की ठेसी जिस पर उसको प्यार आ जाता, … Continue reading

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कितना बदल गया भगवान

देख तेरे भगवान की हालत क्या हो गई इंसान कितना बदल गया भगवान, कितना बदल गया भगवान (मारवाड़ी सेठ: काईं बोलै शैतान !)

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वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो

वतन की राह में, वतन के नौजवाँ शहीद हो पुकारते हैं ये ज़मीन-ओ-आसमाँ, शहीद हो वतन की राह में … शहीद तेरी मौत ही, तेरे वतन की ज़िंदगी तेरे लहू से जाग उठेगी, इस चमन की ज़िंदगी खिलेंगे फूल उस … Continue reading

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सरफ़रोशी की तमन्ना (पं. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’)

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है। करता नहीं क्यूं दूसरा कुछ बात चीत देखता हूं मैं जिसे वो चुप तिरी मेहफ़िल में है। ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार अब तेरी … Continue reading

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