देने वाला जब भी देता…

देने वाला जब भी देता, पूरा छप्पर फाड़ के देता
नंग-धडंग-मलंग जनों को दूरबीन से ताड़ के देता

न देखे वो गोरा-काला, न देसी-परदेसी
जब चाहे सोने से भर दे, फटे टाट की ठेसी
जिस पर उसको प्यार आ जाता, उसको जेबें झाड़ के देता
देने वाला जब भी देता..

दाता जब भी दे, मिल कर बोलो – लाओ, लाओ
अपने बाबा का माल समझ कर, खाओ, खाओ
ऐश उड़ाना फ़र्ज़ है उसका, जिसे वो तूम-तराड़ के देता
देने वाला जब भी देता..

मेरा दाता मुझ पर मेहरबान है,
मेरे मुँह में चाँदी की जबान है
मेरे हाथ में सोने की कमान है
जो भी मेरे आगे आएगा, मुफ्त में जूते खाके जाएगा
जिसको देना चाहे दाता, बंद किवाड़ उखाड़ के देता
देने वाला जब भी देता..

अपना भी गर इस जहाँ में, कोई सहारा होता
रातों की खामोशियों में, क्यों दिल हमारा रोता
देने वाला जब भी देता..

वाह रे ऊपर वाले, तेरे खेल निराले
गधों को हलवा बांटे, भैंसों को शाल-दुशाले
बुरों के मुँह में शक्कर, और भलों के मुँह-सर काले

Dene Wala Jab Bhi Deta Poora Chhappar Phaad Ke Deta
गीत: साहिर लुधियानवी (Lyric: Sahir Ludhiyanvi)
संगीत: सचिन देव बर्मन (Music: S.D. Burman)
गायक: किशोर कुमार और साथी (Singers: Kishore Kumar & Chorus)
फिल्म: फंटूश (Film: Funtoosh)
अभिनेता: देवानंद, महमूद और साथी (Actors: Devanand, Mehmood & others)
फिल्म: फ़ंटूश (१९५६) / Film: Funtoosh (1956)


This entry was posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Humor, Literature and tagged , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , . Bookmark the permalink.