ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया

ये दुनिया, ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया
शैतानों की बस्ती है, यहाँ ज़िन्दगी सस्ती है
ये दुनिया…

दम लेने को साया है, तलवारों का
सो जाने को बिस्तर है अंगारों का
कदम चूम तू सर के अंधे पीरों के
करना हो तो सिजदा कर दीवारों का
ये दुनिया, ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया
हर ज़ालिम एक हस्ती है
मजहब ज़ुल्मपरस्ती है
ये दुनिया…

राज ये डर का, मौत है यहाँ की रानी
कदम-कदम पे, ज़ोर-ज़ुल्म की मनमानी
भूख यहाँ की फसल, साल भर फलती है
लोग यहाँ पीते हैं आँखों का पानी
ये दुनिया, ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया
हर सू आग बरसती है
प्यासी रूह तरसती है
ये दुनिया…

बदल रही है रोज़, बदलती जायेगी
दुनिया करवट लेगी, चक्कर खायेगी
लेकिन हम मज़लूम ग़रीबों की किस्मत
कभी न हँसने देगी, सदा रुलायेगी
ये दुनिया, ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया
बदहालों पर हँसती है
लाचारों को डसती है
ये दुनिया…

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मज़लूम = पीड़ित, सताये हुये (oppressed)
हर सू = हर तरफ, हर ओर (all directions)

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Yeh Duniya, Yeh Duniya, Haye Hamari Yeh Duniya

गायक: मोहम्मद रफ़ी (Singer: Mohd. Rafi)
गीत: शैलेन्द्र (Lyric: Shailendra)
संगीत: शंकर जयकिशन (Music: Shankar Jaikishan)
फिल्म: यहूदी (१९५८) / (Film: Yahudi) (1958)

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