Tag Archives: Sher-o-Shayari

मेरे साथी ख़ाली जाम…

महफ़िल से उठ जाने वालो, तुम लोगों पर क्या इल्ज़ाम तुम आबाद घरों के वासी, मैं आवारा और बदनाम मेरे साथी ख़ाली जाम…. दो दिन तुमने प्यार जताया, दो दिन तुमसे मेल रहा अच्छा खासा वक़्त कटा, और अच्छा खासा … Continue reading

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क्या उम्मीद करें हम उनसे…

क्या उम्मीद करें हम उनसे, जिनको वफ़ा मालूम नहीं ग़म देना मालूम है लेकिन, ग़म की दवा मालूम नहीं

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उनका ग़म

हर ख़ुशी दिल को ग़मगीन किये जाती है इक तेरे ग़म से ज़िंदगी शादाब हुई जाती है

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ज़िंदगी ईनाम-ए-कुदरत है…

कहते हैं मुझसे, ज़िंदगी ईनाम-ए-कुदरत है सज़ा क्या होगी उसकी, जिसका ये ईनाम है साकी

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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता

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