बहे न कभी नैन से नीर

बहे न कभी नैन से नीर
उठी हो चाहे दिल में पीर
बावरे यही प्रीत की रीत
बावरे यही प्रीत की रीत

आशायें मिट जायें तो मिट जायें
दिल की आहें कभी न बाहर आयें
भरी हो होंठों पर मुस्कान
न कोई ले दिल को पहचान
इसी में है रे तेरी जीत
बावरे यही प्रीत की रीत
बहे न कभी नैन से नीर…

दीपक जले भवन में, रहे पतंगा वन में
प्रीत खींच कर लाई, उसे जलाया छन में
जलन का उसे कहाँ था होश,
प्यार का चढ़ा हुआ था जोश
गा रही दुनिया जिसके गीत
बावरे यही प्रीत की रीत
बहे न कभी नैन से नीर…

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गीत: वाई. एन. जोशी (यशोदा नंदन जोशी) / Lyrics: Y. N. Joshi (Yashoda Nandan Joshi)
संगीत: सचिन देव बर्मन / Music: S.D. Burman
गायक: मुकेश / Singer: Mukesh
अभिनेता: देवानंद और सुरैया / Actors: Devanand and Suraiya
फ़िल्म: विद्या  (१९४८) / Film: Vidya (1948)

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Bahe na kabhi nain se neer, uthi ho chahe dil mein peerBawre yahi preet ki reet, bawre yahi preet ki reet

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It seemed to me at first that Devanand himself sung a version of this song picturised on him. Because another version sounds somewhat different. But I think now that they are both sung by Mukesh.

Picturised Version

Second Version (probably the one sold on music records)

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