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Tag Archives: मिर्ज़ा ग़ालिब
हसरत-ए-दीदार
दिल को नियाज़-ए-हसरत-ए-दीदार कर चुके देखा तो हम में ताक़त-ए-दीदार भी नहीं शेर: मिर्ज़ा ग़ालिब
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged Mirza Ghalib, Sher-o-Shayari, उर्दू (हिन्दुस्तानी), मिर्ज़ा ग़ालिब, शेरो-शायरी
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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged 1797, 1869, 1954, 1959, 1961, Abida Parveen, Begum Akhtar, Chitra Singh, Dhoomal, Diwan-e-Ghalib, Film: Ghalib (1961 Pakistan), Film: Mirza Ghalib (1954), Ghazal, Ghulam Mohammed, Kajalbas Suhrawardi, Khayyam, Main Nashe Mein Hoon, Mirza Ghalib, Mohd. Rafi, Noor Jehan, Pakistani Music, Raj Kapoor, Salim Raza, Shankar Jaikishan, Sher-o-Shayari, Suraiya, Tassadaque Hussain, Usha Mangeshkar, Ustad Amanat Ali Khan, आबिदा परवीन, उर्दू (हिन्दुस्तानी), उस्ताद अमानत अली खान, ऊषा मंगेश्कर, खय्याम, चित्रा सिंह, तसद्दक़ हुसैन, दीवान-ए-ग़ालिब, धूमल, नूरजहाँ, पाकिस्तानी संगीत, बेग़म अख्तर, भारत भूषण, मिर्ज़ा ग़ालिब, मैं नशे में हूँ, मोहम्मद रफ़ी, राज कपूर, शंकर-जयकिशन, शेरो-शायरी, सलीम रज़ा, सुरैया, क़ज़लबाश सुहरावर्दी, ग़ुलाम मोहम्मद, फ़िल्म: मिर्ज़ा ग़ालिब (१९५४), फ़िल्म: ग़ालिब (१९६१ पाकिस्तान), फ़िल्मी गीत, १७९७, १८६९, १९५४, १९५९, १९६१
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दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged 1797, 1869, 1954, Bharat Bhushan, Ghulam Mohammed, Mirza Ghalib, Poems, Sher-o-Shayari, Suraiya, Talat Mahmood, उर्दू (हिन्दुस्तानी), तलत महमूद, भारत भूषण, मिर्ज़ा ग़ालिब, शेरो-शायरी, सुरैया, हिन्दी, हिन्दी पद्य, ग़ुलाम मोहम्मद, फ़िल्मी गीत, १७९७, १८६९, १९५४
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दोनों जहान
दोनों जहान देके वो समझे कि ये खुश रहा यहाँ आ पड़ी ये शर्म कि तकरार क्या करें शेर: मिर्ज़ा ग़ालिब डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 64,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged Aaina-e-Ghazal, Sher-o-Shayari, Vinay Waikar, Zarina Sani, आईना-ए-ग़ज़ल, उर्दू (हिन्दुस्तानी), मिर्ज़ा ग़ालिब, विनय वाईकर, हिन्दी, ज़रीना सानी
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क़हर हो या बला
क़हर हो या बला हो, जो कुछ हो काश कि तुम मेरे लिये होते । शेर: मिर्ज़ा ग़ालिब डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 31,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत —– … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged Aaina-e-Ghazal, Mirza Ghalib, Sher-o-Shayari, Vinay Waikar, Zarina Sani, आईना-ए-ग़ज़ल, उर्दू (हिन्दुस्तानी), मिर्ज़ा ग़ालिब, विनय वाईकर, शेरो-शायरी, हिन्दी, ज़रीना सानी
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