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हैम्बर्ग विश्वविद्यालय में इस वर्ष का हिंदी गहन अध्ययन कोर्स सफलतापूर्वक संपन्न

राम प्रसाद भट्ट हैम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी पिछले वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी अगस्त माह में डॉ. राम प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में हैम्बर्ग विश्वविद्यालय में ‘हिंदी गहन अध्ययन कोर्स’ का आयोजन किया गया। इस बार यह कोर्स दो … Continue reading

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फिसल गये हैं मोटूमल

फिसल गये हैं मोटूमल मोटा पेट करे थल-थल दिन निकले से मुँह चलता है जैसे चलती चक्की नहीं पढ़ाई, नहीं लिखाई ये हैं बक्की-झक्की चाट, मलाई, कुल्फी देखी जायें वहीँ मचल (नोट: ये कविता वर्षों नहीं बल्कि दशकों पहले कभी … Continue reading

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ज़िन्दगी का सफ़र

बिना लिबास के आये थे इस जहाँ में एक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा — Bina libaas ke aaye the is jahaan mein Ek kafan ki khaatir, itna safar karna pada — (रचना: अज्ञात / डॉ. राकेश किशोर … Continue reading

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हम बुलाते ही रहे, तुम जलाते ही रहे

(रफ़ी:) हम बुलाते ही रहे, तुम जलाते ही रहे ओ सनम, ये कहाँ की मोहब्बत है (आशा:) यूँ सताया न करो, दिल जलाया न करो हमने कह तो दिया कि मोहब्बत है (…)

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अति का वर्जन

अति गुणी अति निर्गुणी, अति दाता अति सूर इन चारौं से लक्ष्मी, सदा रहत हैं दूर ——– श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.) मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.) … Continue reading

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