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फिसल गये हैं मोटूमल

फिसल गये हैं मोटूमल मोटा पेट करे थल-थल दिन निकले से मुँह चलता है जैसे चलती चक्की नहीं पढ़ाई, नहीं लिखाई ये हैं बक्की-झक्की चाट, मलाई, कुल्फी देखी जायें वहीँ मचल (नोट: ये कविता वर्षों नहीं बल्कि दशकों पहले कभी … Continue reading

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