हम बुलाते ही रहे, तुम जलाते ही रहे

(रफ़ी:)

हम बुलाते ही रहे, तुम जलाते ही रहे
ओ सनम, ये कहाँ की मोहब्बत है

(आशा:)

यूँ सताया न करो, दिल जलाया न करो
हमने कह तो दिया कि मोहब्बत है

(…)

(आशा:)

सीखी हैं कहाँ से ये शिकायतें,
अच्छी नहीं देखो ऐसी आदतें

(रफ़ी:)

मुस्कुराते भी नहीं, पास आते भी नहीं,
हमें कैसे यकीँ आये उल्फत है

(आशा:)

यूँ सताया न करो, दिल जलाया न करो
हमने कह तो दिया कि मोहब्बत है

(…)

(रफ़ी:)

हम तुम्हें अपना बना चुके,
दिल की ये दुनिया लुटा चुके

(आशा:)

हम तुम्हारे हैं सनम,
ले लो कोई भी क़सम
हमने कब ये कहा, तुमसे नफरत है

(रफ़ी:)

हम बुलाते ही रहे, तुम जलाते ही रहे
ओ सनम, ये कहाँ की मोहब्बत है

(…)

—–

फिल्म: देख कबीरा रोया / Dekh Kabira Roya (1957)
गीत: राजेन्द्र कृष्ण / Lyric: Rajinder Krishan
गायक: मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले / Singers: Mohd. Rafi, Asha Bhosle
संगीत: मदन मोहन / Music: Madan Mohan
अभिनेता: अनूप कुमार, अनीता गुहा / Actor: Anup Kumar, Anita Guha

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Ham Bulaate Hi Rahe, Tum Jalaate Hi Rahe
O Sanam, Yeh Kahaan Ki Mohabbat Hai?

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Note: “Muhabbat” and “Mohabbat” (मुहब्बत/मोहब्बत) are generally used as synonyms (पर्यायवाची).

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