बिना लिबास के आये थे इस जहाँ में
एक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा
—
Bina libaas ke aaye the is jahaan mein
Ek kafan ki khaatir, itna safar karna pada
—
(रचना: अज्ञात / डॉ. राकेश किशोर के सौजन्य से )
बिना लिबास के आये थे इस जहाँ में
एक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा
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Bina libaas ke aaye the is jahaan mein
Ek kafan ki khaatir, itna safar karna pada
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(रचना: अज्ञात / डॉ. राकेश किशोर के सौजन्य से )