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हम बुलाते ही रहे, तुम जलाते ही रहे

(रफ़ी:) हम बुलाते ही रहे, तुम जलाते ही रहे ओ सनम, ये कहाँ की मोहब्बत है (आशा:) यूँ सताया न करो, दिल जलाया न करो हमने कह तो दिया कि मोहब्बत है (…)

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