अति गुणी अति निर्गुणी, अति दाता अति सूर
इन चारौं से लक्ष्मी, सदा रहत हैं दूर
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श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ
स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.)
मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.)
श्री राम सनेही तिवारी (महोबा) द्वारा पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और संवर्धन हेतु उपलब्ध कराई गई