Monthly Archives: December 2012

मोहब्बत का फ़साना

एक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है। शेर: जिगर मुरादाबादी डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 3,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत —– Ek lafz-e-mohabbat … Continue reading

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“आपकी क़सम” / Aapki Qasam

आप ख़ुद ही सोचिये मैं हूँ उन्हें कितना अज़ीज़ वो ख़ुदा को छोड़कर मेरी क़सम खाने लगे शेर: शकील बदायूँनी 

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जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

ये कूचे ये नीलामघर दिलकशी के ये लुटते हुये कारवाँ ज़िन्दगी के कहाँ हैं, कहाँ है, मुहाफ़िज़ ख़ुदी के * जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

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सच है दुनिया वालो, कि हम हैं अनाड़ी

सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी सच है दुनिया वालो, कि हम हैं अनाड़ी

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दिल ढूँढ़ता है सहारे-सहारे

दिल ढूँढ़ता है सहारे-सहारे लुटे दिल के अरमाँ, बुझे नैन तारे ये क्या दौर आया, लो बदली बहारें हुये ग़ैर वो भी, किसे हम पुकारें जो कहते थे हमसे, कि हम हैं तुम्हारे दिल ढूँढ़ता है सहारे-सहारे

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