Tag Archives: Jigar Muradabadi

मोहब्बत का फ़साना

एक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है। शेर: जिगर मुरादाबादी डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 3,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत —– Ek lafz-e-mohabbat … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani) | Tagged , , , , , , , , , , , | Comments Off on मोहब्बत का फ़साना