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जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना…

जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाये। नयी ज्योति के धर नये पंख झिलमिल, उडे मर्त्य मिट्टी गगन-स्वर्ग छू ले, लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी, निशा की गली में तिमिर राह भूले, खुले … Continue reading

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मौसम बीता जाये….

भाई रे, गंगा और जमुना की गहरी है धार आगे या पीछे सबको जाना है पार धरती कहे पुकार के, बीज बिछा ले प्यार के मौसम बीता जाये, मौसम बीता जाये

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रात गई फिर दिन आता है…

रात गई फिर दिन आता है इसी तरह आते-जाते ही, ये सारा जीवन जाता है…

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औरत ने जनम दिया मर्दों को…

औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में नंगी नचवाई जाती है, अय्याशों के दरबारों में ये वो … Continue reading

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नेताओं द्वारा शहीदों का शोषण और शहीद होने की व्यर्थता

कंधे पर लदे बेताल ने विक्रमादित्य से कहा, राजन, मेरे एक प्रश्न का उत्तर दो अन्यथा तुम्हारा सर धड़ से अलग हो जायेगा, तुम्हारा अस्तित्व हमेशा के लिये खो जायेगा

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