रात गई फिर दिन आता है…

रात गई फिर दिन आता है
इसी तरह आते-जाते ही,
ये सारा जीवन जाता है…

कितना बड़ा सफ़र दुनिया का,
एक रोता, एक मुस्काता है,
कदम-कदम रखता ही राही
कितनी दूर चला जाता है
एक-एक तिनके-तिनके से
पंछी का घर बन जाता है
रात गई…

कभी अँधेरा, कभी उजाला
फूल खिला, फिर मुरझाता है
खेला बचपन, हँसी जवानी
मगर बुढ़ापा तड़पाता  है
सुख-दुःख का पहिया चलता है,
वही नसीबा कहलाता है

बच्चे:
जॉन चाचा, तुम कितने अच्छे
तुम्हें प्यार करते सब बच्चे,
हमें बता दो ऐसा काम,
कोई नहीं करे बदनाम!
चाचा, क्या होती तक़दीर?
क्यों है एक भिखारी चाचा?
क्यों है एक अमीर?
चाचा, हमको क्यों काम नहीं?
भीख माँग कर जीने में कुछ नाम नहीं!

बढ़ता चल, बढ़ता चल, बढ़ता चल,
तू एक है प्यारे लाखों में,
तू बढ़ता चल, बढ़ता चल, बढ़ता चल,
तू एक है प्यारे लाखों में,
तू बढ़ता चल,  बढ़ता चल, तू बढ़ता चल,
तुझे रुकना नहीं, तुझे झुकना नहीं
घबराना नहीं, तेरी है ज़मीं, तू बढ़ता चल
तारों के हाथ पकड़ता चल, फूलों के हाथ पकड़ता चल
तू एक है प्यारे लाखों में, तू बढ़ता चल
ये रात गई, वो सुबह नयी

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गीत: शैलेन्द्र / Lyrics: Shailendra
संगीत: शंकर जयकिशन / Music: Shankar Jaikishan
गायक: मन्ना डेआशा भोंसले और साथी / Singers: Manna DeyAsha Bhosle & Chorus
फ़िल्म: बूट पॉलिश ( १९५४) / Film: Boot Polish (1954)
अभिनेता: डेविड और साथी / Actors: David & others

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In rememberence of the late Shri Manna Dey, who left this world on this very day (Thursday, 24th Oct. 2013)

स्वर्गीय श्री मन्ना डे की पुण्य-स्मृति में, जो आज अपनी परलोक यात्रा पर चले गये (गुरुवार, २४ अक्टूबर २०१३)

Raat gayi phir din aata hai,
isi tarah aate-jaate hi yeh sara jeevan jata hai…

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