Tag Archives: Satire

आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम

आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम आजकल वो इस तरफ देखता है कम आजकल किसी को वो टोकता नहीं, चाहे कुछ भी कीजिये रोकता नहीं, हो रही है लूटमार, फट रहे हैं बम आसमाँ पे है खुदा ….

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तथाकथित सभ्यता / So-called Civilization

हुए इस कदर मुहज़्ज़ब, कभी घर का मुँह न देखा कटी उम्र होटलों में, मरे अस्पताल जाकर —- * शब्दार्थ मुहज़्ज़ब = सभ्य, शिष्ट, civilized —- शेर: अकबर इलाहाबादी डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित … Continue reading

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पैसे का मंतर, पैसे का जंतर

पैसे का मंतर, पैसे का जंतर पैसा-पैसा छू जाते प्राण पलट के आवें गज़ब तेरा जादू छू-छू मंतर, है जादू मंतर

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कितना बदल गया भगवान

देख तेरे भगवान की हालत क्या हो गई इंसान कितना बदल गया भगवान, कितना बदल गया भगवान (मारवाड़ी सेठ: काईं बोलै शैतान !)

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भारतेंदु हरिश्चंद्र की कुछ और रचनायें

अंग्रेज़ महिमा मरी बुलाऊँ, देस उजाडूँ, महँगा करके अन्न। सबके ऊपर टिकट लगाऊँ धन है मुझको धन्न।। टिपण्णी: यहाँ टिकट का प्रयोग संभवतः “टैक्स” (कर) के लिये किया गया है —- “अथ अंगरेज स्तोत्र लिख्यते” “ “तुम मूर्तिमान हो, राज्य … Continue reading

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