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Tag Archives: १९५८
जिस प्यार में ये हाल हो, उस प्यार से तौबा
मुखड़ा (रफ़ी, रहमान के लिये स्वर): फिरते थे जो बड़े ही सिकंदर बने हुये बैठें हैं उनके सर पे कबूतर बने हुये गीत (रफ़ी): जिस प्यार में ये हाल हो, उस प्यार से तौबा तौबा, उस प्यार से तौबा…
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Humor, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1958, Khayyam, Mala Sinha, Mohd. Rafi, Mukesh, Phir Subah Hogi, Raj Kapoor, Rehman, Sahir Ludhiyanvi, उर्दू (हिन्दुस्तानी), खय्याम, फिर सुबह होगी, माला सिन्हा, मुकेश, मोहम्मद रफ़ी, रहमान, राज कपूर, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, फ़िल्मी गीत, १९५८
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आई दीवाली आई, कैसे उजाले लाई…
आई दीवाली आई, कैसे उजाले लाई घर-घर खुशियों के दीप जले ….
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged 1958, Asha Bhosle, Chorus, Deepawali, Dipawali, Diwali, Indian Festivals, Khazanchi, Madan Mohan, Rajinder Krishan, Shyama, आशा भोंसले, दीपावली, दीवाली, भारतीय उत्सव, भारतीय त्यौहार, मदन मोहन, राजेन्द्र कृष्ण, श्यामा, हिन्दी, हिन्दी पद्य, ख़ज़ांची, फ़िल्मी गीत, १९५८
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औरत ने जनम दिया मर्दों को…
औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में नंगी नचवाई जाती है, अय्याशों के दरबारों में ये वो … Continue reading
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1958, Dattaram Naik, Lata Mangeshkar, N. Dutta, Sad Songs, Sadhna, Sahir Ludhiyanvi, Social Theme, उर्दू (हिन्दुस्तानी), एन. दत्ता, दत्ताराम नायक, भारत, लता मंगेश्कर, साधना, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, फ़िल्मी गीत, १९५८
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आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम आजकल वो इस तरफ देखता है कम आजकल किसी को वो टोकता नहीं, चाहे कुछ भी कीजिये रोकता नहीं, हो रही है लूटमार, फट रहे हैं बम आसमाँ पे है खुदा ….
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Humor, Literature, Patriotic
Tagged 1958, Khayyam, Mukesh, Phir Subah Hogi, Raj Kapoor, Sahir Ludhiyanvi, Satire, Social Theme, उर्दू (हिन्दुस्तानी), खय्याम, देशभक्ति, फिर सुबह होगी, भारत, भ्रष्टाचार, मुकेश, राज कपूर, व्यंग्य, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, फ़िल्मी गीत, १९५८
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ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया
ये दुनिया, ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया शैतानों की बस्ती है, यहाँ ज़िन्दगी सस्ती है ये दुनिया…
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1958, India, Mohd. Rafi, Pearls of Wisdom, Shailendra, Shankar Jaikishan, Social Theme, Yahudi, उर्दू (हिन्दुस्तानी), जीवन-सूत्र, मोहम्मद रफ़ी, यहूदी, शंकर-जयकिशन, शैलेन्द्र, सामाजिक बुराइयाँ, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९५८
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