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Tag Archives: फ़िल्मी गीत
ये रात बहुत रंगीन सही
ये रात बहुत रंगीन सही इस रात में ग़म का ज़हर भी है नग़्मों की खनक में डूबी हुई फरियाद-ओ-फ़ुग़ाँ की लहर भी है ये रात बहुत रंगीन सही तुम रक़्स करो मैं शेर पढ़ूं मतलब तो है कुछ ख़ैरात … Continue reading
Posted in Allgemein, Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Patriotic, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged 1964, Poems, Sahir Ludhiyanvi, Satire, Sher-o-Shayari, Social Theme, उर्दू (हिन्दुस्तानी), भारत, भ्रष्टाचार, व्यंग्य, शेरो-शायरी, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९६४
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अब तेरा इंतज़ार कौन करे…
सुरमई रात ढलती जाती है रूह ग़म से पिघलती जाती है तेरी ज़ुल्फ़ों से प्यार कौन करे अब तेरा इंतज़ार कौन करे
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged 1955, Jaidev, Joru Ka Bhai, Sad Songs, Sahir Ludhiyanvi, Sher-o-Shayari, Talat Mahmood, उर्दू (हिन्दुस्तानी), जयदेव, जोरू का भाई, तलत महमूद, दर्द भरे नग्मे, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, फ़िल्मी गीत, १९५५
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सुबह का इंतज़ार कौन करे…
सुरमई रात है, सितारे हैं आज दोनों जहाँ हमारे हैं सुबह का इंतज़ार कौन करे.. ये रुत ये समाँ मिले न मिले आरज़ू का चमन खिले न खिले वक़्त का ऐतबार कौन करे…
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1955, Jaidev, Joru Ka Bhai, Lata Mangeshkar, Sahir Ludhiyanvi, Sher-o-Shayari, उर्दू (हिन्दुस्तानी), जयदेव, जोरू का भाई, लता मंगेश्कर, शेरो-शायरी, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, फ़िल्मी गीत, १९५५
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मेरे साथी ख़ाली जाम…
महफ़िल से उठ जाने वालो, तुम लोगों पर क्या इल्ज़ाम तुम आबाद घरों के वासी, मैं आवारा और बदनाम मेरे साथी ख़ाली जाम…. दो दिन तुमने प्यार जताया, दो दिन तुमसे मेल रहा अच्छा खासा वक़्त कटा, और अच्छा खासा … Continue reading
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged 1964, Amrita Pritam, Bharat Bhushan, Dooj Ka Chand, Imroz, Mohd. Rafi, Poems, Roshan, Sad Songs, Sahir Ludhiyanvi, Sher-o-Shayari, अमृता प्रीतम, इमरोज़, दर्द भरे नग्मे, दूज का चाँद, भारत भूषण, मोहम्मद रफ़ी, रोशन, शेरो-शायरी, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९६४
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पर्बतों के पेड़ों पर…
पर्बतों के पेड़ों पर, शाम का बसेरा है सुरमई उजाला है, चंपई अँधेरा है दोनों वक़्त मिलते हैं, दो दिलों की सूरत से आसमाँ ने खुश होकर, रंग सा बिखेरा है
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged 1964, Alankaar Songs, Kamaljeet, Kamaljit, Khayyam, Lyrics of Hindi Film Songs, Mohd. Rafi, Sahir Ludhiyanvi, Shagoon, Suman Kalyanpur, Waheeda Rehman, अलंकार भरे गीत, उर्दू (हिन्दुस्तानी), कमलजीत, खय्याम, मोहम्मद रफ़ी, वहीदा रहमान, शगुन, साहिर लुधियानवी, सुमन कल्याणपुर, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९६४
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