सुरमई रात है, सितारे हैं
आज दोनों जहाँ हमारे हैं
सुबह का इंतज़ार कौन करे..
ये रुत ये समाँ मिले न मिले
आरज़ू का चमन खिले न खिले
वक़्त का ऐतबार कौन करे…
ले भी लो हमको अपनी बाहों में
रूह बेचैन है निगाहों में
इल्तजा बार-बार कौन करे…
—
गीत: साहिर लुधियानवी / Lyrics: Sahir Ludhiyanvi
संगीत: जयदेव / Music: Jaidev
गायिका: लता मंगेश्कर / Singer: Lata Mangeshkar
फिल्म: जोरू का भाई (१९५५) / Film: Joru Ka Bhai (1955)
—
सुरमई = सुरमे जैसी, काजल जैसी
समाँ = मंज़र, नज़ारा, दृश्य
ऐतबार = विश्वास, भरोसा, (trust, confidence, faith, reliance)
इल्तिजा (इल्तजा) = प्रार्थना, दरख़ास्त दुहाई (करना) ([to] pray, request)
—
Surmai raat hai, sitaare hain
Aaj donon jahaan hamaare hain
Subah ka intazaar kaub kare…