Monthly Archives: December 2012

पति के नाम का रोना

अपने पति के नाम का रोना रोते हुये एक महिला ने कहा, सुनो बहन, इस इंसान के पीछे मैंने क्या-क्या दुःख नहीं सहा मैं बीस वर्षों से इसके साथ जी नहीं सड़ रही हूँ यही समझो कि धीरे-धीरे मर रही हूँ

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जब ग़म-ए-इश्क़ सताता है…

जब ग़म-ए-इश्क़ सताता है, तो हँस  लेता हूं हादसा याद ये आता है, तो हँस लेता हूँ जज़्बा-ए-इश्क़ के अंजाम पे, इस दुनिया में जब कोई अश्क बहाता है, तो हँस  लेता हूं हादसा याद ये आता है, तो हँस … Continue reading

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क़िस्मत / Kismat

उन्हें ठहरे समुन्दर ने डुबोया जिन्हें तूफाँ का अंदाज़ा बहुत था शेर: डॉ. मंज़ूर अहमद मंज़ूर   डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर, पृष्ठ 1) से साभार उद्धृत —– Unhen thahre … Continue reading

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मुहब्बत का अंजाम / Muhabbat Ka Anjaam

ऐ मुहब्बत, तेरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यों आज, तेरे नाम पे रोना आया यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

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काहे को रोये, चाहे जो होये, सफल होगी तेरी आराधना….

काहे को रोये, चाहे जो होये सफल होगी तेरी आराधना काहे को रोये …. दीया टूटे तो है माटी, जले तो ये ज्योति बने बहे आँसू तो है पानी, रुके तो ये मोती बने ये मोती आँखों की पूंजी है, ये … Continue reading

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