Tag Archives: शादी-विवाह पर प्रहसन

पति के नाम का रोना

अपने पति के नाम का रोना रोते हुये एक महिला ने कहा, सुनो बहन, इस इंसान के पीछे मैंने क्या-क्या दुःख नहीं सहा मैं बीस वर्षों से इसके साथ जी नहीं सड़ रही हूँ यही समझो कि धीरे-धीरे मर रही हूँ

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पाणि-ग्रहण

ओ घोड़ी पर बैठे दूल्हे, क्या हँसता है? देख सामने तेरा आगत मुँह लटकाये हुआ खड़ा हुआ है . अब हँसता है फिर रोयेगा, शहनाई के स्वर में जब बच्चे चीखेंगे चिंताओं का मुकुट शीश पर धरा रहेगा खर्चों की … Continue reading

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हमारे ऐसे भाग्य कहाँ (शैल चतुर्वेदी)

एक दिन अकस्मात एक पुराने मित्र से हो गई मुलाकात हमने कहा-“नमस्कार।” वे बोले-“ग़ज़ब हो गया यार! क्या खाते हो जब भी मिलते हो पहले से डबल नज़र आते हो?”

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सरकार

पतिदेव दफ्तर से घर आकर पत्नी से बोले मुस्करा कर ये सजधज, ये श्रृंगार क्या इरादा है सरकार

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तेली कौ ब्याह (काका हाथरसी)

भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल गली-गली फेरी करै, ‘तेल लेऊ जी तेल’ ‘तेल लेऊ जी तेल’, कड़कड़ी ऐसी बोली बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली कहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौ एक साल तक तेली … Continue reading

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