क़िस्मत / Kismat

उन्हें ठहरे समुन्दर ने डुबोया
जिन्हें तूफाँ का अंदाज़ा बहुत था

शेर: डॉ. मंज़ूर अहमद मंज़ूर  

डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर, पृष्ठ 1) से साभार उद्धृत

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Unhen thahre samundar ne duboya
Jinhen toofan ka andaza bahut tha.

Sher/Couplet: Dr. Manzoor Ahmad Manzoor

Gratefully excerpted from “Aaina-e-Ghazal” of Dr. Zarina Sani and Dr. Vinay Waikar, 5th revised edition, 2002, p. 1, Shree Mangesh Prakashan, Nagpur.

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