Category Archives: Literature

ज़िंदगी जी नहीं बर्दाश्त की

ज़िंदगी जी नहीं बर्दाश्त की ऊसर में काश्त की !

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चंद रोज़ और मेरी जान…

चंद रोज़ और मेरी जान, फकत चंद ही रोज़ ज़ुल्म की छाँव में दम लेने को, मज़बूर हैं हम और कुछ देर सितम सह लें, तड़प लें, रो लें अपने अज्दाद की मीरास हैं, माज़ूर हैं हम

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औरत ने जनम दिया मर्दों को…

औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में नंगी नचवाई जाती है, अय्याशों के दरबारों में ये वो … Continue reading

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तुमको फ़ुरसत हो मेरी जाँ तो…

तुमको फ़ुरसत हो, मेरी जाँ, तो इधर देख तो लो चार आँखें न करो, एक नज़र देख तो लो तुमको फ़ुरसत हो…

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केरि-बेरि को संग

कहि रहीम कैसे निभै, केरि-बेरि को संग वा डोलत रस आपने, इनके फाटत अंग कवि: अब्दुर्रहीम खान खाना / Abdul Rahim Khan-I-Khana

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