Category Archives: Literature

आँखों से दूर, सुबह के तारे चले गए

आंखों से दूर सुबहा के तारे चले गये नींद आ गई तो ग़म के नज़ारे चले गये दिल था किसी की याद में मसरूफ़ और हम शीशे में ज़िन्दगी को उतारे चले गये

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खुदा निगहबान हो तुम्हारा…

मुखड़ा: वो आई सुबह के पर्दे से मौत की आवाज़ किसी ने तोड़ दिया जैसे ज़िंदगी का साज गीत: खुदा निगहबान हो तुम्हारा, धड़कते दिल का पयाम ले लो तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं, उठो हमारा सलाम ले लो … Continue reading

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राग : शुभ्रा

हमारे मित्र मंदार पुरंदरे अपने  इस रोचक और पठनीय लेख में आशा करते हैं  कि उन्हें एक  बरफ़ लाने वाली धुन मिलेगी; एक ऐसा राग, जो एक “ग्लोबल कूलिंग” मंत्र जैसा काम करे और इसी बहाने मौसम के सुर-ताल को ठीक … Continue reading

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तेरी दुनिया में जीने से तो…

तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें वही आसूँ वही आहें वही ग़म है जिधर जायें

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ख़यालों में किसी के…

ख़यालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते किसी को बेवफ़ा आ-आ के तड़पाया नहीं करते दिलों को रौंद कर दिल अपना बहलाया नहीं करते जो ठुकराये गये हों उनको ठुकराया नहीं करते

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