Category Archives: Hindi | हिन्दी

पर्बतों के पेड़ों पर…

पर्बतों के पेड़ों पर, शाम का बसेरा है सुरमई  उजाला है, चंपई अँधेरा है दोनों वक़्त मिलते हैं, दो दिलों की सूरत से आसमाँ ने खुश होकर, रंग सा बिखेरा है

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हमें ऐ दिल कहीं ले चल…

हमें ऐ दिल कहीं ले चल, बड़ा तेरा करम होगा हमारे दम से है हर ग़म न हम होंगे, न ग़म होगा हमें ऐ दिल कहीं ले चल…

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शहरी जेबकतरा

बस में अपनी जेब कटती देख, यात्री ने शोर मचाया जेबकतरा उसे पकड़ कर थाने लाया और थानेदार से बोला, हुज़ूर, यह आदमी शहर में अव्यवस्था फैलाता है हमें शांतिपूर्वक जेब नहीं काटने देता गँवारों की तरह चिल्लाता है थानेदार … Continue reading

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दशकों बाद …

दशकों बाद मुझसे किसी की मुलाकात हुई । शांत पानी में छलकती एक प्रतिबिम्ब की तरह, उपवन के उस कोने में खिले उस अनजाने गुलाब की अनजानी सुगंध की तरह, वर्षा की पहली फुहार के साथ, खिड़की से आती उस … Continue reading

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तत्कालीन भारत और आधुनिक ग्रीस

एक बार बहुत पहले ये कविता कहीं पढ़ी थी। लिखी तो गयी थी ये संभवतः साठ-सत्तर के दशक के भारत के लिये। पर आज तो लगता है कि जैसे ये अब ग्रीस (यूनान) पर भी चरितार्थ होती है: आय इकाई, … Continue reading

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