शमा जलती रहे, तो बेहतर है…

टैंक आगे बढ़ें, या पीछे हटें,

कोख धरती की, बांझ होती है ।

फ़तह का जश्न हो, या हार का सोग,

जिंदगी, मय्यतों पर रोती है ।।

इसलिए, ऐ शरीफ़ इंसानो,

जंग टलती रहे, तो बेहतर है ।

आप और हम सभी के, आंगन में,

शमा जलती रहे, तो बेहतर है ।।

रचना : साहिर लुधियानवी

स्रोत: 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के वो 22 दिन, रेहान फ़ज़ल की बीबीसी हिंदी पर रिपोर्ट

Tank aage badhen, yaa peechhe haten
Kokh dharti ki, baanjh hoti hai
Fateh ka jashn ho, yaa haar ka sog
Zindagi, mayyaton par roti hai
Isliye, ai shareef insaano
Jang talti rahe, to behtar hai
Aap aur ham sabhi ke, aangan mein
Shama jalti rahe, to behtar hai

शब्दार्थ

मय्यतों (Mayyaton) = मृतकों, लाशों (dead bodies, corpses)

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