Tag Archives: Lata Mangeshkar

पिघला है सोना दूर गगन पर, फैल रहे हैं शाम के साये….

पिघला है सोना दूर गगन पर, फैल रहे हैं शाम के साये…. भगवन तेरी सुन्दर रचना कितनी प्यारी है, तेरी महिमा के गुण गाता हर नर-नारी है ख़ामोशी कुछ बोल रही है, भेद अनोखे खोल रही है पंख-पखेरू सोच में … Continue reading

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औरत ने जनम दिया मर्दों को…

औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में नंगी नचवाई जाती है, अय्याशों के दरबारों में ये वो … Continue reading

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मारे गये गुलफ़ाम…

(Maare Gaye Gulfaam, Aji Haan Maare Gaye Gulfaam) मारे गये गुलफ़ाम, अजी हाँ मारे गये गुलफ़ाम * उल्फ़त भी रास न आई, अजी हाँ मारे गये गुलफ़ाम एक सब्ज़परी देखी, और दिल को गँवा बैठे * मस्ताना निगाहों पर, फिर … Continue reading

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