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Tag Archives: व्यंग्य
ये रात बहुत रंगीन सही
ये रात बहुत रंगीन सही इस रात में ग़म का ज़हर भी है नग़्मों की खनक में डूबी हुई फरियाद-ओ-फ़ुग़ाँ की लहर भी है ये रात बहुत रंगीन सही तुम रक़्स करो मैं शेर पढ़ूं मतलब तो है कुछ ख़ैरात … Continue reading
Posted in Allgemein, Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Patriotic, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged 1964, Poems, Sahir Ludhiyanvi, Satire, Sher-o-Shayari, Social Theme, उर्दू (हिन्दुस्तानी), भारत, भ्रष्टाचार, व्यंग्य, शेरो-शायरी, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९६४
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शहरी जेबकतरा
बस में अपनी जेब कटती देख, यात्री ने शोर मचाया जेबकतरा उसे पकड़ कर थाने लाया और थानेदार से बोला, हुज़ूर, यह आदमी शहर में अव्यवस्था फैलाता है हमें शांतिपूर्वक जेब नहीं काटने देता गँवारों की तरह चिल्लाता है थानेदार … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature
Tagged Satire, Unknown Author(s), अज्ञात, ओशो, भारत, भ्रष्टाचार, राजनीति, व्यंग्य, सामाजिक बुराइयाँ, सामाजिक समस्यायें, हास्य कवितायें, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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तत्कालीन भारत और आधुनिक ग्रीस
एक बार बहुत पहले ये कविता कहीं पढ़ी थी। लिखी तो गयी थी ये संभवतः साठ-सत्तर के दशक के भारत के लिये। पर आज तो लगता है कि जैसे ये अब ग्रीस (यूनान) पर भी चरितार्थ होती है: आय इकाई, … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Humor
Tagged Poems, Satire, Unknown Author(s), अज्ञात, उर्दू (हिन्दुस्तानी), ग्रीस, जीवन-सूत्र, भारत, भ्रष्टाचार, यूनान, व्यंग्य, हास्य कवितायें, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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दहेज की बारात
जा दिन एक बारात को मिल्यौ निमंत्रण-पत्र फूले-फूले हम फिरें, यत्र-तत्र-सर्वत्र यत्र-तत्र-सर्वत्र, फरकती बोटी-बोटी बा दिन अच्छी नाहिं लगी अपने घर रोटी कहँ ‘काका’ कविराय, लार म्हौंड़े सों टपके कर लड़ुअन की याद, जीभ स्याँपन सी लपके
Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature
Tagged Kaka Hathrasi, Poems, Satire, Social Theme, काका हाथरसी, व्यंग्य, सामाजिक बुराइयाँ, सामाजिक समस्यायें, हास्य कवितायें, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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गाँव में शहर की महिला
शहर की एक महिला ने हिम्मत दिखाई, वह प्रौढ़ों को शिक्षित करने के लिये गाँव में आई एक दिन यूँ ही बैठी-बैठी सुस्ता रही थी और एक गीत गा रही थी ” ओ सावन के बदरा, ” आये नहीं हमारे … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature
Tagged Poems, Rural Population, Unknown Author(s), अज्ञात, ओशो, व्यंग्य, हास्य कवितायें, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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