Tag Archives: Poems

भारतेंदु हरिश्चंद्र की कुछ और रचनायें

अंग्रेज़ महिमा मरी बुलाऊँ, देस उजाडूँ, महँगा करके अन्न। सबके ऊपर टिकट लगाऊँ धन है मुझको धन्न।। टिपण्णी: यहाँ टिकट का प्रयोग संभवतः “टैक्स” (कर) के लिये किया गया है —- “अथ अंगरेज स्तोत्र लिख्यते” “ “तुम मूर्तिमान हो, राज्य … Continue reading

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पाणि-ग्रहण

ओ घोड़ी पर बैठे दूल्हे, क्या हँसता है? देख सामने तेरा आगत मुँह लटकाये हुआ खड़ा हुआ है . अब हँसता है फिर रोयेगा, शहनाई के स्वर में जब बच्चे चीखेंगे चिंताओं का मुकुट शीश पर धरा रहेगा खर्चों की … Continue reading

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बापू के बन्दर आधुनिक युग में (काका हाथरसी)

बन्दर एक बता रहा, रखकर मुँह पर हाथ चुप्पी से बनते चतुर, औंदू-भौंदूनाथ औंदू-भौंदूनाथ, सुनो साहब-सरदारो एक चुप्प से हार जायें, वाचाल हजारों ‘काका’ करो इशारों से, स्मगलिंग का धंधा गूँगा बनकर छूट, तोड़ कानूनी फंदा

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आलसी चेला

मौसम था बरसात का, भादौं आधी रात का आश्रम श्रम से दूर था, सुनो वहाँ की बात सुनो वहाँ की बात, जलेबी दूध पराठे खा पी करके गुरु, ले रहे थे खर्राटे आँख खुली तो, चेले को आवाज़ लगायी क्यों … Continue reading

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आधुनिक शिक्षा

विद्यालय में आ गये इंस्पेक्टर स्कूल छठी क्लास में पढ़ रहा विद्यार्थी हरफूल विद्यार्थी हरफूल, प्रश्न उससे कर बैठे किसने तोड़ा शिव का धनुष, बताओ बेटे?

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