विद्यालय में आ गये इंस्पेक्टर स्कूल
छठी क्लास में पढ़ रहा विद्यार्थी हरफूल
विद्यार्थी हरफूल, प्रश्न उससे कर बैठे
किसने तोड़ा शिव का धनुष, बताओ बेटे?
छात्र सिटपिटा गया, बेचारा धीरज छोड़ा
हाथ जोड़कर बोला, “सर, मैंने नहीं तोड़ा”
यह उत्तर सुन आ गया सर के सर को ताव
फौरन बुलवाए गए हेडमास्टर साब
हेडमास्टर साब, पढ़ाते हो क्या इनको?
किसने तोड़ा शिव का धनुष नहीं मालूम है जिनको!
हेडमास्टर भन्नाया – फिर तोड़ा किसने?
झूठ बोलता है, जरुर तोड़ा है इसने!
इंस्पेक्टर अब क्या कहे, मन ही मन मुस्कात
कार्यालय में आकर हुई, मैनेजर से बात
मैनेजर से बात, छात्र में जितनी भी है
उससे दोगुनी बुद्धि हेडमास्टर जी की है
मैनेजर बोला, जी हम चन्दा करवा लेंगे
नया धनुष उससे भी अच्छा बनवा देंगे
शिक्षामंत्री तक गए जब उनके जज़्बात
माननीय गदगद हुये, बहुत खुशी की बात
बहुत खुशी की बात, धन्य हैं ऐसे बच्चे
अध्यापक, मैनेजर भी हैं कितने सच्चे
कह दो उनसे, चन्दा कुछ ज्यादा करवा लेना
जो बैलेंस बचे, वो हमको भिजवा देना
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रचना: अज्ञात
स्रोत: ओशो रजनीश के एक प्रवचन से साभार उद्धृत