क्या उम्मीद करें हम उनसे…

क्या उम्मीद करें हम उनसे, जिनको वफ़ा मालूम नहीं
ग़म देना मालूम है लेकिन, ग़म की दवा मालूम नहीं

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क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली…

क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली, फिर कौन किसी का होता है
ऐ दुनिया वालो सच कहो, क्या प्यार भी झूठा होता है

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उनका ग़म

हर ख़ुशी दिल को ग़मगीन किये जाती है
इक तेरे ग़म से ज़िंदगी शादाब हुई जाती है

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सुभाषित : शोक का प्रभाव

मूल संस्कृत पद्य

शोको नाशयते धैर्य,
शोको नाशयते श्रॄतम्।
शोको नाशयते सर्वं,
नास्ति शोकसमो रिपु॥

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नीति-शतक : न्याय का पथ

मूल संस्कृत पद्य

निन्दन्तु नीतिनिपुणा, यदि वा स्तुवन्तु
लक्ष्मीः स्थिरा भवतु, गच्छतु वा यथेष्टम् ।
अद्यैव वा मरणमस्तु, युगान्तरे वा
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति, पदं न धीराः ।। ७४ ।।

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