इश्क़ का दर्द

नहीं इश्क़ का दर्द लज़्ज़त से खाली
जिसे ज़ौक है, वो मज़ा जानता है

शेर: मीर तक़ी ‘मीर’ (१७२३-१८१०)

* शब्दार्थ

लज़्ज़त   = स्वाद, सुखद अनुभव (taste, flavour, pleasant experience)
ज़ौक = स्वाद, आनंद, शौक (taste, pleasure)

—-

डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 72,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत

Nahin ishq ka dard lazzat se khali
Jise zauk hai, woh maza jaanta hai

Sher/Couplet: Meer Taqi ‘Meer’ (1723-1810)

Gratefully excerpted from “Aaina-e-Ghazal” of Dr. Zarina Sani and Dr. Vinay Waikar, 5th revised edition, 2002, p. 72, Shree Mangesh Prakashan, Nagpur.

This entry was posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani) and tagged , , , , , , , , , , . Bookmark the permalink.